Ganesha Story in Hindi
महेश अपने कारोबार को
लेकर चिंतित है, उसने अभी अभी नया कारोबार शुरू किया है परन्तु कारोबार वैसा नहीं
चल रहा जैसे की अपेक्षा थी| इस बात को लेकर वह बहुत परेशान है| रोज की भांति वह घर
आया और अपनी पत्नी से बोला- नंदिनी , मैंने कारोबार में काफी पैसा लगाया है, लेकिन
जैसा सोचा था वैसा कुछ नहीं हो रहा है, क्या करना चाहिए?
पत्नी ने सलाह दी, बाबू पंडित जी बड़े ज्ञानी हैं, उनसे ही पूछकर देख लीजिये | महेश बाबू पंडित जी के पास गया और अपनी सारी बात बताई | पंडित जी ने कहा, करोबार की शुरुआत की है तो भगवान् गणेश जी की प्रतिदिन पूजा करो , अवश्य लाभ होगा |
महेश घर लौटा और भगवान् गणेश जी की पूजा प्रारंभ कर दी | वह बाज़ार से भगवान् गणेश जी की एक छोटी सी मूर्ति ले आया, वह नित्य प्रतिदिन भगवान् गणेश जी की मूर्ति पर दिया जलाता , अगरबत्ती जलाता, मिष्ठान एवं फल - फूल अर्पित करता और वस्त्र पहनाता | इसी प्रकार पूजा करते करते एक माह गुजर गया , किन्तु करोबार में कोई विशेष इजाफा नहीं हुआ |
महेश फिर से पंडित जी के पास गया और कहा, पंडित जी ! मुझे पूजा करते हुए एक माह हो गया किन्तु कोई फायदा नहीं हुआ | इस पर पंडित जी ने कहा, भगवान् की मन से स्तुति करो, समय को गिनो नहीं | यह सिर्फ कारोबार के लिए नहीं है, भगवान् की पूजा करने को अपना नियम बना लो , फिर देखना तुम्हे अवश्य हर चीज़ में फायदा होगा और मन को भी शांति मिलेगी |
पर शायद महेश पंडित जी की बात से संतुष्ट नहीं था , उसे तो अपने कारोबार की चिंता थी और तुरंत परिणाम चाहता था किन्तु फिर भी उसने पूजा करना जारी रखा और नित्य दिया , अगरबत्ती , मिष्ठान एवं फल – फूल आदि से भगवान् गणेश की स्तुति करता रहा |
पत्नी ने सलाह दी, बाबू पंडित जी बड़े ज्ञानी हैं, उनसे ही पूछकर देख लीजिये | महेश बाबू पंडित जी के पास गया और अपनी सारी बात बताई | पंडित जी ने कहा, करोबार की शुरुआत की है तो भगवान् गणेश जी की प्रतिदिन पूजा करो , अवश्य लाभ होगा |
महेश घर लौटा और भगवान् गणेश जी की पूजा प्रारंभ कर दी | वह बाज़ार से भगवान् गणेश जी की एक छोटी सी मूर्ति ले आया, वह नित्य प्रतिदिन भगवान् गणेश जी की मूर्ति पर दिया जलाता , अगरबत्ती जलाता, मिष्ठान एवं फल - फूल अर्पित करता और वस्त्र पहनाता | इसी प्रकार पूजा करते करते एक माह गुजर गया , किन्तु करोबार में कोई विशेष इजाफा नहीं हुआ |
महेश फिर से पंडित जी के पास गया और कहा, पंडित जी ! मुझे पूजा करते हुए एक माह हो गया किन्तु कोई फायदा नहीं हुआ | इस पर पंडित जी ने कहा, भगवान् की मन से स्तुति करो, समय को गिनो नहीं | यह सिर्फ कारोबार के लिए नहीं है, भगवान् की पूजा करने को अपना नियम बना लो , फिर देखना तुम्हे अवश्य हर चीज़ में फायदा होगा और मन को भी शांति मिलेगी |
पर शायद महेश पंडित जी की बात से संतुष्ट नहीं था , उसे तो अपने कारोबार की चिंता थी और तुरंत परिणाम चाहता था किन्तु फिर भी उसने पूजा करना जारी रखा और नित्य दिया , अगरबत्ती , मिष्ठान एवं फल – फूल आदि से भगवान् गणेश की स्तुति करता रहा |
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Ganesha story in Hindi |
इसी तरह पूजा करते हुए महेश को तीन माह हो गए किन्तु कोई विशेष फायदा उसको कारोबार में नहीं हुआ | महेश काफी परेशान रहने लगा , एक दिन अपनी पत्नी से बोला , इतने दिनों से पूजा कर रहा हूँ पर कोई फायदा होता नही दिख रहा , ये गणेश जी तो सुन ही नहीं रहे हैं , कैसे खुश करूँ इनको , सबकुछ तो कर रहा हूँ, |
पत्नी ने कहा, हिम्मत मत हारिये ,समय आने पर सब ठीक होगा, धैर्य रखिये | एक तो आमदनी नहीं हो रही , हर चीज़ पैसे से आती है, रोज अगरबत्ती , दिया , मिठाई, फल, फूल , वस्त्र क्या नहीं किया इनको खुश करने के लिए , पर ये सुन ही नहीं रहे हैं, पर कोई बात नहीं , बहुत हो गयी इनकी पूजा , अब इनको कुछ नहीं दूंगा ,न वस्त्र, न मिठाई और न ही कुछ और – कहकर क्रोध में महेश घर से बाहर चला गया |
थोड़ी देर के बाद महेश भगववान शिव की छोटी सी मूर्ति लेकर घर लौटा , उसने पूजा स्थल में रखी भगवान् गणेश की मूर्ति हटा दी और उनकी जगह भगवान् शिव की मूर्ति रख दी | पत्नी ने पूछा , ये क्या कर रहे हैं आप, मूर्ति को क्यों हटा रहे रहे हो ? बेटे से तो कुछ हुआ नहीं , इनके पापा से ही प्रार्थना कर के देख लेता हूँ, शायद कुछ हो जाये – महेश ने गुस्से से कहा और भगवान् गणेश की मूर्ति को उठाकर ऊपर अलमारी में रख दिया | इनको कुछ देने की जरुरत नहीं हैं , न ही धूप दिया दिखाने की और न ही मिठाई अर्पित करने की , ये किसी काम के नहीं हैं , सुन रही हो न तुम, अगर तुमने इनकी पूजा की तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा – महेश पत्नी पर चिल्लाते हुए बोला |
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उसी दिन से महेश ने भगवान् शिव की पूजा करनी शुरू कर दी, उसने दीपक जलाया , अगरबत्ती जलाई और फल – फूल एवं मिष्ठान अर्पित किया | पूजा करते वक़्त महेश की नज़र ऊपर रखी भगवान् गणेश जी की मूर्ति पर गयी , उसने देखा कि अगरबत्ती का सुगन्धित धुँआ गणेश जी की मूर्ति पर जा रहा था | महेश से यह देखा न गया और उसने मूर्ति को थोडा साइड कर दिया , लेकिन धुँआ अभी भी मूर्ति पर ही जा रहा था |महेश ने मन में सोचा , मेरा काम तो इन्होने किया नहीं और सारा सुगन्धित धुँआ ये ही ले रहे हैं, उसने गुस्से में गणेश जी की मूर्ति को कपडे की पट्टी लपेट कर रख दिया ताकि उसके अंदर अगरबत्ती का धुँआ न जाये | जब तक अगरबत्ती पूरी तरह जल नहीं गयी तब तक महेश यही देखता रहा कहीं धुँआ गणेश जी की मूर्ति पर तो नहीं जा रहा |
अगले दिन फिर महेश ने भगवान् शिव की मूर्ति पर अगरबत्ती जलाई , दीपक जलाया , फल – फूल एवं मिष्ठान अर्पित किया और देखा कि आज फिर से अगरबत्ती का धुँआ ऊपर रखी गणेश जी की मूर्ति पर जाने लगा , महेश ने देखा कि मूर्ति पर लिपटी पट्टी के बीच में कई जगह स्थान रिक्त है , जिसमें से अंदर धुँआ जा रहा है , महेश को बहुत गुस्सा आया , उसने रुई ली और जितने भी पट्टी के बीच रिक्त स्थान थे , सभी में वो रुई भर दी, मूर्ति की नाक ( सूंड ) में भी रुई भर दी और मूर्ति रखकर वापस से शिव की पूजा करने लगा |
इस सब के बाद भी उसका बार बार ध्यान गणेश जी मूर्ति पर ही जा रहा था कि कहीं अगरबत्ती या धूपबत्ती का धुँआ वो न ले लें, वह जब भी पूजा करता तभी गणेश जी की मूर्ति पर ध्यान जाता , सोते उठते ,चलते फिरते, पूजा करते , हर वक़्त वह गणेश जी को ही इर्ष्या की नज़र से देखने लगा | इसी तरह कई दिन बीत गए , एक दिन वह पूजा कर रहा था , उसने फिर से देखा कि कहीं गणेश जी पर तो धुँआ नहीं जा रहा , इतने ही पीछे कुछ आवाज़ सुनाई दी , महेश ने जैसे ही पलट कर देखा , कपडे की पट्टी में लिपटे , जगह जगह पर रुई लगे हुए भगवान् गणेश साक्षात् खड़े थे |
यह देखकर महेश की आँखे फटी की फटी रह गयी, वह चकित हो उठा – उसने जल्दी से भगवान् की पट्टियाँ खोली, रुई निकाली और पैरो में गिर गया , कहा – भगवान मुझे माफ़ कर दो , मेरा काम न होने की वजह से मैं आपसे गुस्सा था इसलिए ये सब किया | भगवान् बोले – तुमने पहले मुझे याद ही कब किया, तुम तो सिर्फ औपचारिकताएं कर रहे थे | किन्तु अब तुम रात-दिन सिर्फ और सिर्फ मुझे याद कर रहे थे, इसलिए मुझे आना ही पड़ा , जाओ तुम्हारे सभी कार्य पूर्ण होंगे , कहकर भगवान् अंतर्ध्यान हो गए | ***
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