Kahani actor Pran ki
एक ऐसा विलेन जो उस जमाने में हीरो से ज्यादा फीस लेता था | एक ऐसा एक्टर जो अपनी गंभीर आवाज में जब ‘बरखुरदार’ कहता तो लोग मन्त्र मुग्ध हो जाते | लेकिन क्या आप जानते हैं कि वही शख्स अगर उस दिन पान खाने उस दुकान पर ना गया होता तो शायद एक्टर न बनता | जी हाँ , ये सच है | हम बात कर रहे हैं प्राण कृष्ण सिकंद यानी अपने ‘प्राण साहब’ की | वो प्राण साहब जो एक्टर नहीं बल्कि फोटोग्राफर बनना चाहते थे |प्राण साहब का जन्म सन 1920 में पुरानी दिल्ली में एक रईस परिवार में हुआ, उनके पिता लाला केवल कृष्ण सिकंद एक सिविल इंजीनियर थे जो ब्रिटिश हुकूमत के दौरान सरकारी निर्माण का ठेका लिया करते थे | शादी के बाद प्राण साहब दिल्ली से लाहौर आ गए |
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Kahani actor Pran ki |
बात 1940 की है तब देश का बंटवारा नहीं हुआ था, प्राण साहब तब लाहौर में थे | प्राण अक्सर पान खाने के लिए अपनी पसंदीदा दुकान पर जाया करते थे | उस दिन भी वो सज धजकर अपने निजी तांगे से पान खाने पहुचे | उनका स्टाइल देखकर दुकान पर खड़ा एक शख्स उनका कायल हो गया , वो शख्स और कोई नहीं बल्कि जाने माने फिल्म राइटर ‘वली मोहम्मद’ थे | वली मोहम्मद, प्राण की शख्सियत से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने प्राण के पास जाकर फिल्मों में काम करने के बारे में पूछा | प्राण साहब ने तब थोड़ी ना नुकुर की क्योकि तब प्राण ने खुद भी नहीं सोचा होगा कि वो एक दिन हिंदी सिनेमा के एक बेहतरीन एक्टर और दमदार खलनायक के रूप में जाने जायेंगे |
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