After death : Story in Hindi
हर रोज की तरह मैं रात को खाना खाने के बाद
थोडा टहलने के लिये निकल गया , थोड़ी देर बाद वापस घर आया और अपने ऑफिस का कुछ
अधूरा काम करके सो गया | थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि अचानक मुझे घबराहट होना
शुरू हो गयी, साँसे तेज़ - तेज़ चलने लगीं और दिल की धड़कन अचानक से तेज़ हो गयी, जैसे
मानो बहुत तेज़ दौड़ रहा हो, मेरा सिर चकरा रहा था , लग रहा था मानो मेरे सिर पर दो
बड़े छेद हो गए हैं और मैं बस मरने ही वाला हूँ |
मैं कुछ बोलने की कोशिश कर रहा था
, लेकिन मैं बोल नहीं पा रहा था | मैंने बोलने की थोड़ी कोशिश की लेकिन कोई मुझे
सुन नहीं पा रहा था, तभी थोड़ी देर में मुझे महसूस हुआ जैसे मैं रंगों से घिर गया हूँ ,
एक रंग दुसरे रंग में समा रहा था | उस वक़्त मैं अपने आपको बहुत हल्का महसूस कर रहा
था, मैं
हवा में तैर रहा था, ऐसा लग रहा था मानो कोई मुझे ऊपर की ओर खींच रहा है | मैं अपने आप
को देखने की कोशिश कर रहा था लेकिन मुझे अपना शरीर दिख नहीं रहा था, पर आभास हो
रहा था कि मैं ऊपर की ओर जा रहा हूँ | मुझे गीले बादल दिख रहे थे, ऐसा लग रहा था
मानो मैं टेलीस्कोप से अन्तरिक्ष को देख रहा हूँ | कोई शोर शराबा नहीं था, सब कुछ
बहुत शांत था, लग रहा था मानो मैं शून्य में हूँ |
After Death
तभी बहुत तेज़ रौशनी दिखाई दी और
मैं उस रौशनी की तरफ जा रहा था | दूर तक जाती सीढियाँ दिख रही थी और मैं मानो जैसे
तैर रहा था | तभी कुछ ही देर में मैं उस जगह पंहुचा, वहां और भी लोग थे , जिन्हें
मैं देख नहीं सकता था लेकिन महसूस कर सकता था , वे मुझसे बात कर रहे थे और मानो
जैसे मेरा स्वागत कर रहे थे | तभी मुझे आगे ले जाया गया और एक दाढ़ी वाले बूढ़े व्यक्ति
के सामने ले जाया गया, जिसे मैं देख सकता था, उसने इशारा किया और दाहिनी तरफ ले
जाने के लिए कहा |
मैं जैसे ही आगे बढ़ा तो मैंने एक आलीशान घर देखा, मैंने घर में प्रवेश किया , उसमें
पहले से कोई था, मैं उसे देख सकता था, बहुत सुंदर देवदूत जैसा |
घर को देखकर मुझे अचानक याद आया कि ऐसा घर तो मैंने कहीं देखा है या शायद मैं ऐसे
ही घर को बनवाने के बारे में सोचता था, लेकिन ये क्या – घर की छत नहीं थी | मैंने
उस व्यक्ति से पूछा – ये घर किसका है ? तुम्हारा है, उसने जबाब दिया | मैंने कहा –
मेरा कैसे ? उसने कहा - तुम ऐसा ही घर बनवाना चाहते थे, उसके लिए तुम जो भी प्रयास कर रहे थे,
उन कोशिशो के बदले यहाँ तुम्हारे लिए घर बनाया जा रहा था और जब तुम अपनी कोशिश
पूर्ण कर लेते तो इसे यहाँ से तुम्हारे पास भेज दिया जाता , लेकिन घर पूरा बन पाता इसके पहले ही तुमने प्रयास करना बंद कर दिया, इसलिए जितना तुमने
प्रयास किया, घर भी उतना ही बन पाया है |
Story in Hindi
तभी घर में अंदर मैंने एक वैज्ञानिक का अधूरा
स्टेचू देखा लेकिन ये क्या उस स्टेचू का चेहरा तो मेरा था, अरे नहीं ! ये तो मेरा
ही स्टेचू था | मैंने उस व्यक्ति से पूछा – ये क्या है ? व्यक्ति ने कहा - तुम वैज्ञानिक बनना चाहते
थे ना ? जितना तुमने प्रयास किया, ये स्टेचू भी उतना ही बना है, तुम कोशिश जारी रखते तो ये स्टेचू पूरा बन जाता और तुम आज वैज्ञानिक होते | मैंने उस घर में और भी
ऐसी अधूरी ढेरों चीजें देखीं, जिनको मैंने कभी न कभी हासिल करना चाहा था या हासिल
करने की सोच रहा था | तभी पीछे से किसी ने मुझे आवाज़ दी | मैंने पीछे मुड़कर देखा, कोई नहीं था | तभी मैंने महसूस किया कोई मुझे पकड़ कर झकझोर
रहा है | तभी अचानक से मेरी आँखें खुली और सामने मम्मी खड़ी थीं, कह रहीं थी – कब तक सोता रहेगा, उठ जा, कितनी देर से उठा रहीं
थी, सपना देख रहा था क्या ?
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